Swati Sharma

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लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -12)

हमारी शुभकामनाएं:-

शरद पूर्णिमा:-

                     हिंदू धर्म में आश्विन मास का बेहद महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत समान होती हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर 2022, रविवार को था। शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास माना जाता है।

                     शरद पूर्णिमा के दिन क्यों बनाते हैं खीर-

                     शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की मान्यता है। वैज्ञानिक तर्क के अनुसार, दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है। इस वजह से चांद की चमकदार रोशनी दूध में पहले से मौजूद बैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है। खीर में पड़े चावल इस काम को आसान करते हैं। चावलों में पाए जाने वाले स्टार्च इसमें मदद करते हैं। कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व-
                     धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। मान्यता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती हैं। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की देवी की विशेष कृपा होती है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में अमृत वर्षा होती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान में खीर रखने से उसमें अमृत मिल जाता है।
                        भूमिका जब मां के पास रसोई में पहुंची तो मां खीर बना रहीं थी। भूमिका को भी खीर पसंद थी तो उसने आज मां से खीर बनाने का कारण पूछा। क्योंकि भूमिका को यह पता था की मां किसी विशेष अवसर पर ही खीर बनाती हैं। इसीलिए उसने मां से खीर बनाने का कारण पूछा तो उन्होंने उसे शरद पूर्णिमा के बारे में बताया। अतः उसे शरद पूर्णिमा की कथा सुनाई। उन्होंने बताया -
                       एक साहूकार की दो बेटियां थीं। दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया। जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी। एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया। कहते हैं कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा।
                       शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आती हैं। मां लक्ष्मी भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। मान्यता है कि जिस घर में अंधेरा या जो सोता रहता है, वहां माता लक्ष्मी दरवाजे से ही लौट जाती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूरी प्रकृति मां लक्ष्मी का स्वागत करती है। कहते हैं कि इस रात को देखने के लिए समस्त देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी आते हैं।
                        शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखी जाती है।
                          भूमिका ने उसकी माताजी के साथ मिलकर खीर को आसमान के नीचे रखा, और दूसरे दिन सुबह उसको गृहण किया। भूमिका ने मां द्वारा बनाई गई खीर की खूब प्रशंसा की।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

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10 Comments

Gunjan Kamal

24-Nov-2022 06:56 PM

👏👌🙏🏻

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Swati Sharma

24-Nov-2022 07:19 PM

🙏🏻😇🙏🏻

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Khushbu

13-Nov-2022 06:06 PM

Nice 👍🏼

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Swati Sharma

13-Nov-2022 06:46 PM

Thanks 🙏🏻

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Supriya Pathak

12-Nov-2022 01:05 PM

Achha likha hai aapne 🌺

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Swati Sharma

12-Nov-2022 04:16 PM

Thank you so much ma'am

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